ढ़क्कन
बस यूँ ही लिखता हूँ ख्यालात अपनी मिलता है सुकून और आदत है अपनी।
Monday, November 2, 2015
अभी होश में हूँ ......
Wednesday, October 28, 2015
खुबसूरत...............
Thursday, August 20, 2015
नहीं .......
हम बुरे दिखते है तो बुरे ही सही
मुखौटा अच्छाई का अब मिलता नहीं
जो भी तुम समझो हमे तुम समझते रहो
अंदाज अपने जीने का बदलता नहीं
क्या सही है और क्या है गलत
दिल की मर्जी को कभी रोकता नहीं
जी है जिंदगी मैंने अपनी शर्तो पर
तकलीफों से है दोस्ती मौत से डरता नहीं
धड़कनो और सांसो में है करीबी रिश्ता
एक टूट जाए तो दुश्मन भी दूर रहता नहीं
Tuesday, August 4, 2015
चलो एक धर्म बनाये........
Saturday, July 18, 2015
शायद छोटू को परवाह नहीं: शायद छोटू को परवाह नहीं
Sunday, June 7, 2015
तुम आओ तो सही
तुम्हे अपने पलको पर बसा लेंगे तुम आओ तो सही
शराब तक छोड़ देंगे आँखों से तुम पिलाओ तो सही
तेरे दिए हर दर्द-ए-सितम का कोई हिसाब भी ना करेंगे तेरे हर नखरों को सह लेंगे बस तुम आओ तो सही
हम तेरी हर नादानी को नजर अंदाज कर देंगे
तुम्हे खुदा बना लेंगे अपने दिल का तुम आओ तो सही
खुशियो के घर में फूलो के बिस्तर पर तुझे सुलायेंगे
अपने आगोश में हरदम रखूंगा तूम आओ तो सही